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स्वच्छ सर्वेक्षण 2020 में कोटा का निराशाजनक प्रदर्शन

हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा जारी किये जाने वाले स्वच्छ सर्वेक्षण 2020 के परिणाम देशभर में चर्चा का विषय है। रिपोर्ट के अनुसार देशभर से कुल 4242 शहरों, 62 कंटेंमेंट बोर्ड्स व 92 कस्बों ने हिस्सा लिया।

राजस्थान के शहरों में पिछले वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष काफी अच्छा प्रदर्शन रहा परंतु टॉप 20 में एक भी शहर शामिल नहीं हो पाया। कोटा वासियों के लिए निराशा की बात है कि 10 लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों में कोटा का स्थान नीचे से चौथे नंबर पर है। 

क्या है स्वच्छ सर्वेक्षण? 

स्वच्छ भारत अभियान के प्रदर्शन को जाँचने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा वर्ष 2016 में स्वच्छ सर्वेक्षण का प्रमोचन किया था। 

स्वच्छ सर्वेक्षण एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा है, ताकि सभी शहर भारत के सबसे स्वच्छ शहर बनने की दौड़ में शामिल होकर स्वच्छता के क्षेत्र में अपना बेहतर प्रदर्शन करें। 

स्वच्छ सर्वेक्षण 2020 की रिपोर्ट के कुछ महत्वपूर्ण आंकड़े –

पिछले चार सालों से हर वर्ष की तरह इस बार भी इंदौर, 10 लाख से ज्यादा आबादी वाले सबसे स्वच्छ शहरों की श्रेणी में पहले नम्बर पर है। सूरत और नवीं मुंबई दूसरे व तीसरे स्थान पर हैं। 

राजस्थान के शहरों की बात करें तो, जारी की गयी सूची में 10 लाख से ज्यादा जनसंख्या वाले शहरों में देशभर से 47 शहरों ने भाग लिया जिसमें जयपुर 28 वें और जोधपुर 29 वें स्थान पर दिखेंगे, और वहीं शिक्षा नगरी कोटा 44वें पायदान पर है। 

इस वर्ष कोटा शहर का स्वच्छता स्कोर 2051.88 रहा लेकिन दुर्भाग्यवश अब भी 10 लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों में 10 गंदे शहरों में चौथे स्थान पर है। 

कोटा में 3 दिन तक केंद्रीय दल द्वारा सफाई प्रबंधन की जाँच की गयी, जिसमें कचरा पॉइंट से कचरा उठाने, गीला- सूखा कचरा अलग अलग एकत्रित करने एवं कितनी बार कचरा उठाया जाता है इन सभी सूत्रों के आधार पर पॉइंट्स दिए गये थे। 

शिक्षा नगरी के रूप में देशभर में पहचाने जाने वाले शहर का स्वच्छ सर्वेक्षण की सूची में पिछडना हम सजग नागरिकों के लिए कई सवाल खड़े करता है। 

कैसे सुधर सकती है कोटा में स्वच्छता की स्तिथि

क्या आप अपने शहर को उस स्वच्छता सूची में पहले स्थान पर देखना चाहते हैं? अगर हाँ, आइये जानते हैं इस स्पर्धा में हर वर्ष प्रथम आने वाले शहर इंदौर ने स्वच्छता अभियान के लिए क्या क्या कदम उठाये? 

  • इंदौर देश का पहला ऐसा शहर है जो डस्टबिन फ्री है, वहाँ हर सुबह कचरा गाड़ी आती है जो घर-घर जाकर कचरा इकट्ठा करती है। 
  • वहाँ लोग घरों में ही गीला, सूखा कचरा व जैविक कचरा अलग-अलग इकट्ठा करते हैं। 
  • वहाँ निजी वाहनों में भी लोग छोटा डस्टबिन लेकर चलते हैं और बाजारों में छोटे लिटरबीन में ही कचरा फेकते हैं। 
  • सबसे महत्वपूर्ण, इंदौर की जनता स्वच्छता को लेकर सजक है, निगम की और से कोई भी लापरवाही होने पर लोग शिकायत दर्ज कराने में पीछे नहीं रहते। 

हम इन महत्वपूर्ण उपायों को सीखकर व अपना कर अपने शहर को स्वच्छता श्रेणी में आगे बढ़ने में मदद कर सकते हैं। हमारे शहर की स्वच्छता अब हमारे हाथ में है, अब एक सक्रिय नागरिक के रूप में हमें हमारा कर्तव्य निभाने की ज़रूरत है। 

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