जब भी माँ का घर से फ़ोन आता है, तो सबसे पहले वो क्या पूछती हैं ?

की बेटा खाना खाया या नहीं ? अच्छे से खाया ? क्या मिला आज मेस में ? बाजार का खाना ज़्यादा तो नहीं खाते ना ?

अरे होली की छुट्टियां आने वाली है , घर का खाना मिलेगा ।अरे दिवाली की छुट्टियां आने वाली ,घर का खाना मिलेगा ।

इन शब्दों की एहमियत माँ के खाने से दूर जाकर ही पता चलती है ।

कोटा में हज़ारों लाखों बच्चे हर साल अपनी जीवन के बहुत ही एहम पड़ाव को पार करने के लिए छोटी से उम्र में दूर-दूर से आते हैं । अपने घर में रहकर तैयारी करना और किराये पर रूम लेकर या हॉस्टल में रहने में बहुत अंतर आ जाता है। घर पे तो आपकी माँ सुबह आपको उठाने से लेकर ,नाश्ता बनाने तक एवं पापा के काम जाने से पहले आपको पढ़ने के लिए समझआने , पढ़ते टाइम चाय कॉफ़ी से लेकर जूस अवम लंच तक आपके हर काम की ज़िमेदारी माँ की हो जाती है । परंतु जब आप अपने आप हॉस्टल में रहते हैं तो साफ़ सफआई से लेकर ,कपडे धोना और रोज़ मर्रा के ज़रूरी सामान लेकर आने तक हर काम की ज़िम्मेदारी खुदकी हो जाती है । इतने काम और स्ट्रेस के बीच एक ही चीज़ की चाह होती है……..की काश मेस में आज मेरी पसंद का खाना बना हो ।
ये बात तो हम सब को माननी पड़ेगी कि घऱ वहीँ है जहाँ माँ है!
इन छुट्टियों में सिर्फ घर जाने की जल्दी नहीं होती ,बल्कि दिल तो सिर्फ एक चीज़ तलाशता है, वो सुकून जो सिर्फ घर पर ही प्राप्त होता है ।
माँ सिर्फ कच्ची सामग्री से खाने योगय भोजन को तैयार नहीं करती है , बल्कि उनके लिए खाना पकाने से , तनाव को राहत मिलती है ।यह प्यार के रूप में, व्यक्त करी जाता है ।
कोई सा भी समय हो, हर शण वे किसी भी रूप में कई तरह के साथ कुछ सामग्री से ही सब के मन को लुभाने वाला भोजन तैयार कर सकती हैं ।
5 कारण क्यों घर के खाने से अच्छा कुछ नहीं हो सकता  – 
1. उसमें मां के हाथ का जादू होता है ।
2. यह हमेशा बेहतर स्वाद करता है, आपके स्वाद के अनुरूप होता है।
3. आप अधिक समय अपने परिवार के साथ बिताते हैं
4.  मां मेनु में परिवर्तन आपके मूड के हिसाब से कर देती है।
5. और अगर आप घर से दूर रहते हैं,  आप जानते हैं कि घर के  खाने की क्या अहमियत है आप के लिए – पुरानी यादें।
सबसे महत्वपूर्ण रहस्य जो ये सब मुमकिन करा पता है-
माँ का प्यार ।
हमें याद आते हैं वो मनमोहक दिलचस्प व्यंजन।
हमें बताइये अपनी यादगार बातें अपनी माँ के साथ।